Baabul ka yeh ghar behna ( बाबुल का यह घर बहना)

बाबुल का यह घर बहना, कुछ दिन का ठिकाना है
बाबुल का यह घर गोरी, कुछ दिन का ठिकाना है
बन के दुल्हन इक दिन, तुझे पिया घर जाना है ।।

बाबुल तेरे बगिया की, मैं तो कली हू रे
छोड़ तेरी बगिया को ।।
घर पिया का सजाना है
बन के दुल्हन इक दिन, तुझे पिया घर जाना है ।।

बेटी घर बाबुल के, किसी और की अमानत है
दस्तूर दुनिया का ।।
हम सबको निभाना है
बन के दुल्हन इक दिन, तुझे पिया घर जाना है ।।

मईया तेरे आँचल की, मैं हू ऐसी गुड़िया रे
तूने मुझे जनम दिया ।।
तेरा घर तो बेगाना है
बन के दुल्हन इक दिन, तुझे पिया घर जाना है ।।

भईया तेरे आँगन की, मैं हू ऐसी चिड़िया रे
रात भर बसेरा है ।।
फिर सुबह उड़ जाना है
बन के दुल्हन इक दिन, तुझे पिया घर जाना है ।।

भईया पे क्या बीत रही बहना तू क्या जाने
कलेजे के टुकड़े को ।।
रो रो के भुलाना है
बन के दुल्हन इक दिन, तुझे पिया घर जाना है ।।

याद तेरे बचपन की, हम सबको रुलायेगी
फिर भी तेरी डोली को ।।
विदा तो कराना है
बन के दुल्हन इक दिन, तुझे पिया घर जाना है ।।

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